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पंचायत चुनाव में 40 मौत, बंगाल हिंसा की जांच के लिए BJP की टीम रवाना

पश्चिम बंगाल में शनिवार को पंचायत चुनाव हुए। इस दौरान पूरे सूबे में जमकर हिंसा हुई। खूब तोड़फोड़, पथराव और आगजनी हुई। राजनीतिक लड़ाई के चलते कई लोगों की हत्या कर दी गईं। इन्हीं सब स्थिती को देखते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सांसदों की एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो हिंसा के पीछे का सच सामने लाएगी। भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने बुधवार सुबह बंगाल रवाना होने से पहले पत्रकारों को यह जानकारी दी।

राष्ट्रपति को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
रविशंकर प्रसाद ने बताया कि जेपी नड्डा ने एक टीम तैयार की है। इसका संयोजक (convener) उन्हें बनाया गया है। सांसदों की टीम बंगाल में ग्राम पंचायत चुनाव के मद्देनजर बड़े पैमाने पर हिंसा, हत्या, बम विस्फोट से प्रभावित सभी क्षेत्रों का दौरा करेगी। इस दौरान कई सवालों के जवाब ढूंढे जाएंगे। बाद में, इसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जाएगी।

इन सवालों से उठेगा पर्दा
भाजपा सांसद ने कहा कि हम प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे और उन लोगों से मुलाकात की जाएगी, जो पीड़ित होंगे। साथ ही 40 से अधिक लोगों की जान क्यों गई इसका जवाब भी ढूंढा जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि पता लगाएंगे कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे तथाकथित सहयोगी स्पष्ट चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि ममता सरकार हमें प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने की अनुमति देंगी।

पहले चुनाव के बारे में जान लीजिए
शनिवार आठ जुलाई को पश्चिम बंगाल की 73,887 ग्राम पंचायत सीटों में से 64,874 पर मतदान हुआ। बाकी 9,013 सीटों पर उम्मीदवारों को निर्विरोध चुन लिया गया था। निर्विरोध चुने जाने वाले उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा 8,874 तृणमूल कांग्रेस से हैं। पंचायत चुनाव के नतीजे 11 जुलाई को आएंगे।

अब जानिए कहां-कहां से हिंसा और हत्या की खबरें आईं?
मतदान वाले दिन 16 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हुई। इनमें से 13 मौतें मुर्शिदाबाद, कूचबिहार और मालदा में हुई। सबसे ज्यादा पांच मौतें मुर्शिदाबाद में हुईं। कूचबिहार, उत्तरी दिनाजपुर और मालदा में मारे जाने वाले लोगों की संख्या क्रमशः तीन, चार और एक थी। वहीं दक्षिण बंगाल के तीन जिलों- नादिया, पूर्वी बर्दवान और दक्षिण 24 परगना में एक-एक मौत हुई। यहां 200 से ज्यादा लोग घायल भी हुए। जलपाईगुड़ी हिंसा में आठ पत्रकार भी घायल हुए।

पिछले एक महीने के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस बीच, 38 से ज्यादा राजनीतिक हत्याएं हो चुकी हैं। आठ जून को चुनावों का एलान होने के बाद से सात जुलाई तक 19 लोगों की जान गई है। कूच बिहार में कुछ लोग बैलेट बॉक्स लेकर ही भागते दिखे। इसके अलावा यहां कई पोलिंग बूथ को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया।

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