दिल्लीराज्य

मोटर वाहन एग्रीगेटर योजना को अंतिम रूप देने को बढ़ाया समय, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को दी यह तारीख

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में ओला और उबर जैसे कैब एग्रीगेटर्स को विनियमित (रेग्यूलेट) करने के लिए दिल्ली मोटर वाहन एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता योजना को अंतिम रूप देने के लिए आप सरकार को दिए गए समय को सोमवार को 30 सितंबर तक बढ़ा दिया।

राज्य सरकार की मांग पर बढ़ाई तारीख
दरअसल, दिल्ली सरकार ने समय बढ़ाने की मांग की थी, जिसे न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने स्वीकार कर लिया। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार की याचिका को स्वीकार कर लिया गया है। ऐसे में दिल्ली मोटर वाहन एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता योजना, 2023 पर अधिसूचना जारी करने की समय सीमा 30 सितंबर, 2023 तक बढ़ा दी गई है।

सुनवाई के दौरान, पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील से मसौदा को अंतिम रूप देने में देरी का कारण पूछा। इस पर वकील ने बताया कि एक मजबूत मसौदे को तैयार किया जा रहा है, लेकिन इसमें कुछ और समय लगेगा।

फरवरी में लगाई गई थी रोक
दिल्ली सरकार ने फरवरी 2023 में ओला-उबर और रैपिडो जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियों की बाइक सर्विस पर रोक लगा दी थी। वहीं, सरकार के फैसले के खिलाफ कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी। इसी फैसले को लेकर दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। सुप्रीम कोर्ट ने 12 जून को हाईकोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दिया था। साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा नई नीति बनने तक उनके खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई न करने को कहा। साथ ही दिल्ली सरकार के वकील ने कहा था कि अंतिम नीति जुलाई के अंत से पहले अधिसूचित की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट आप सरकार की दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी कि अंतिम नीति अधिसूचित होने तक बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर्स के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।

रैपिडो ने दायर की थी याचिका

हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में, रैपिडो चलाने वाली रोपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने कहा कि दिल्ली सरकार के आदेश में गैर-परिवहन दोपहिया वाहनों को किराए पर या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए यात्रियों को ले जाने से तुरंत रोकने का निर्देश दिया गया था। बिना किसी कारण या तर्क के पारित कर दिया गया।

इस साल की शुरुआत में जारी एक सार्वजनिक नोटिस में, सरकार ने बाइक-टैक्सियों को दिल्ली में चलने के प्रति आगाह किया था और चेतावनी दी थी कि उल्लंघन करने पर एग्रीगेटर्स को 1 लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा। रैपिडो ने उस संदर्भ में शहर सरकार द्वारा उसे जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को भी चुनौती दी है। कहा है कि यह विभिन्न मौलिक और संवैधानिक अधिकारों और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का भी उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश को गलत तरीके से उद्धृत करने वाले सोशल मीडिया पोस्ट को फर्जी करार दिया

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस सोशल मीडिया पोस्ट को ‘फर्जी’ और ‘गलत इरादे वाला’ करार दिया, जिसमें एक फाइल फोटो का इस्तेमाल करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को गलत तरीके से उद्धृत कर लोगों से अधिकारियों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने की अपील की गई थी। शीर्ष न्यायालय द्वारा जारी एक प्रेस नोट में कहा गया है कि मुख्य न्यायाधीश ने ऐसा कोई पोस्ट जारी नहीं किया है, ना ही उन्होंने इस तरह के किसी पोस्ट को अधिकृत किया है।

प्रेस नोट में कहा गया है, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के संज्ञान में आया है कि एक सोशल मीडिया पर (लोगों से अधिकारियों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने के अनुरोध वाला) एक पोस्ट प्रसारित किया जा रहा है, जिसमें एक फाइल फोटो का इस्तेमाल करते हुए मुख्य न्यायाधीश को गलत तरीके से उद्धृत किया गया है। यह पोस्ट फर्जी है, और गलत इरादे वाला एवं शरारतपूर्ण है। इसमें कहा गया है कि कानून प्रवर्तन प्राधिकारियों के साथ परामर्श कर इस बारे में उपयुक्त कार्रवाई की जा रही है।

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