गीता प्रेस गोरखपुर एक ऐसा नाम है जिसकी प्रेस से छपी श्रीमद्भगवत गीता और रामचरितमानस करोड़ों भारतीय घरों में होगी। गीता प्रेस के कामों को देखते हुए सरकार ने इसको इस साल का गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की लेकिन इस साल का गांधी शांति पुरस्कार-2021 विवादों में घिर गया है। पहले पुरस्कार के लिए चयनित गीता प्रेस की वैचारिक प्रतिबद्धता और गांधी के साथ मतभेद पर सवाल उठे। वहीं अब चयन प्रक्रिया पर ही विवाद खड़ा हो गया है।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि गांधी शांति पुरस्कार-2021 के लिए विजेता का फैसला करने वाली चयन समिति का सदस्य होने के बावजूद उन्हें इस निर्णय को लेकर अंधेरे में रखा गया। उन्होंने कहा कि उन्हें न तो इसकी बैठक में आमंत्रित किया गया और न ही निर्णय के बारे में सूचित किया।
कांग्रेस सरकार ने 1995 में गांधी शांति पुरस्कार शुरू किया था। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने गांधी शांति पुरस्कार के लिए प्रक्रिया संहिता बनाया है। जिसके अनुसार पुरस्कार विजेता का चयन पांच सदस्यीय जूरी द्वारा किया जाता है। जूरी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं, इसके अन्य सदस्यों में भारत के मुख्य न्यायाधीश, विपक्ष के नेता या लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता और दो “प्रतिष्ठित व्यक्ति” होते हैं। बता दें कि कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में विपक्षी दल के नेता हैं।