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संसदीय समिति ने सुझाव दिया कि पड़ोसी देशों को आतंक फैलाने वालों के खिलाफ एक सुर में बोलना चाहिए

संसद की एक समिति ने सरकार से पड़ोसी देशों के साथ काम करने और भारत में अस्थिरता और तनाव फैलाने में लगे देशों के खिलाफ एक स्वर में बोलने को कहा है। समिति ने सुझाव दिया कि आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए पड़ोस प्रथम नीति के तहत एक साझा मंच स्थापित करने का प्रयास किया जाए।

तीन दशकों से बना हुआ है खतरा

विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने ‘भारत की पड़ोसी प्रथम नीति’ पर एक रिपोर्ट में यह बात कही है। इसमें कहा गया है कि भारत तीन दशकों से अधिक समय से अपने पड़ोस से खतरों, निरंतर तनाव, आतंकवादी और उग्रवादी हमलों की बढ़ती संभावना का सामना कर रहा है।

भारत करीबी के रूप में करे काम

भाजपा सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली इस समिति ने मंगलवार को लोकसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि समिति की इच्छा है कि भारत को पड़ोसी देशों के बीच अधिक करीबी के रूप में काम करना चाहिए ताकि ऐसा माहौल बनाया जा सके, जहां सभी पड़ोसी देश ऐसी गतिविधियों में शामिल देशों के खिलाफ एक स्वर में बोलें। साथ ही आतंकवाद के खतरे का मुकाबला करने के लिए सक्रिय कदम उठाएं और क्षेत्र में स्थायी शांति, स्थिरता और समृद्धि के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करें।

सरकार के बदले दृष्टिकोण का समर्थन

समिति ने सीमा पार आतंकवाद से उत्पन्न खतरों को खत्म करने के लिए सरकार के बदले हुए दृष्टिकोण का समर्थन किया। समिति ने कहा कि भारत के पड़ोसियों के साथ द्विपक्षीय संबंध केवल आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त माहौल में ही बनाए जा सकते हैं।

सीमा से लगे जिलों में काम करने की जरूरत

समिति ने जोर देकर कहा कि हमारी सीमा के बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करने के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है। आगे कहा, सीमा पार के जिलों की तुलना में देश की सीमा के जिलों में कम विकास है। इसलिए पहले इन क्षेत्रों को स्थिर और विकसित करने की आवश्यकता है।

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